डॉ. राम रतन श्रीवास ‘राधे राधे’ को हसदेव पर्यावरण संरक्षण पर मिला गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड

डॉ. राम रतन श्रीवास ‘राधे राधे’ को हसदेव पर्यावरण संरक्षण पर मिला गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड


बिलासपुर (छ.ग.) ‘वृक्ष लगाओ होगी वर्षा, सुख के बादल बरसेंगे। वृक्ष कटे तो दाने दाने’ बूंद बूंद को तरसेंगे।।’ पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, वायु संरक्षण एवं संवर्धन और नशा मुक्ति अभियान के लिए संकल्पित डॉ. राम रतन श्रीवास ‘राधे राधे’ ने ‘मध्य भारत का फेफड़ा-हसदेव’ कीर्तिमान पुस्तक (पेड़ और वन संरक्षण पर पहली कविता पुस्तक) में अपनी सृजन के माध्यम से सहयोग किया जो गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ। इस ऐतिहासिक पुस्तक का विमोचन १९ जनवरी २०२५ छत्तीसगढ़ स्वाभिमान संस्थान के तत्वावधान में वृंदावन सभागार रायपुर, छत्तीसगढ़ में भव्यता के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. उदयभान सिंह चौहान (भगीरथ, छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण), मुख्य अतिथि उप-मुख्यमंत्री अरुण साव (छत्तीसगढ़ राज्य), अति विशिष्ट अतिथि गण में सांसद बृजमोहन अग्रवाल, राजेश्री महंत रामसुंदर दास महाराज , डॉ. विनय कुमार पाठक (पूर्व अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग), डॉ. स्नेहलता पाठक (छ. ग. की प्रथम हास्य व्यंग्यकार), रामेश्वर शर्मा (वरिष्ठ साहित्यकार) , प्रधान संपादक डॉ.आशा आजाद “कृति” सम्पादक अजय जैन ‘विकल्प’ ,संयोजक डॉ. मंगल उरांव, आयोजक राज कुमार छापड़िया (मुम्बई) तथा विशेष सलाहकार पुष्पराज साहू ‘राज’ की गरिमामयी उपस्थिति रही। मंच का उम्दा संचालन डॉ. गुलशन खम्हारी ने किया। छत्तीसगढ़ के कन्नौजिया श्रीवास समाज का प्रतिनिधित्व करते हुए डॉ.’राधे राधे’ ने संवाददाता को जानकारी दी की साहित्य के क्षेत्र में तीन बार गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ ही लंदन बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, ग्रेटेस्ट बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ,जिनियस बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज हो चुका है इसके अलावा साहित्य के क्षेत्र में विभिन्न राज्यों से शतकों सम्मान प्राप्त कर चुके हैं। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर के महाप्रबंधक, रेलवे भर्ती बोर्ड बिलासपुर , मंडल रेल प्रबंधक बिलासपुर द्वारा सम्मानित हो चुके हैं। भारत-नेपाल पशुपतिनाथ अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव, नेपाल के ब्रांड एम्बेसडर भी रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह सभी उपलब्धियां भारत देश को समर्पित है इससे राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी शिक्षा और साहित्य को समृद्ध के साथ साथ आने वाली पिढ़ियां भी जागरूक होंगे क्योंकि ‘साहित्य समाज का दर्पण’ होता है’। डॉ. राम रतन श्रीवास ‘राधे राधे’ ने बताया कि ‘गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड’ में दर्ज ‘मध्य भारत का फेफड़ा-हसदेव’ इस कीर्तिमानी काव्यमयी विश्वस्तरीय साझा संकलन में १०१ रचनाकार, ३०० पृष्ठ समाहित है। इसमें छत्तीसगढ़ राज्य ही नहीं अपितु विदेश से भी सहभागिता सुनिश्चित हुआ है जिसमें नीलू गुप्ता (अमेरिका), श्रीमती रुचि पंत (आस्ट्रेलिया), लोकप्रिय अंतर्राष्ट्रीय पोर्टल हिन्दी भाषा डॉट कॉम के सम्पादक और लेखक अजय जैन ‘विकल्प’ (इंदौर, म.प्र.), उषा सिंह (दिल्ली), कीर्ति मेहता (म.प्र.), कविता शर्मा (झारखंड), संगीता राजपूत ‘श्यामा’ (उ.प्र.), अरविंद कुमार मिश्र (गुजरात) नरेंद्र वैष्णव, डॉ. गीता विश्वकर्मा ‘नेह’ डॉ अंजना सिंह ठाकुर, नीरामणी श्रीवास इत्यादि सहित शतक साहित्यकारों का अनूठा संगम देखने को मिला मानो साहित्य का कुंभ हो रहा हो। डॉ. राम रतन श्रीवास ‘राधे राधे’ को इस उपलब्धि पर सभी बधाई प्रेषित कर रहे हैं।

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