जानें, सौरभ गांगुली के बारे में रोचक बातें और रेकॉर्ड

नई दिल्लीभारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान 23 अक्टूबर को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अध्यक्ष पद संभालेंगे। ‘प्रिंस ऑफ कोलकाता’ और ‘रॉयल बंगाल टाइगर’ के नाम से मशहूर सौरभ गांगुली ने अपने करियर में कई उपलब्धियां हासिल कीं। गांगुली की कप्तानी और बल्लेबाजी स्टाइल को आज भी याद किया जाता है। भारतीय क्रिकेट को नई पहचान दिलाने में गांगुली की अहम भूमिका है।
आइए, जानें उनसे जुड़े रोचक फैक्ट्स के बारे में…

मुख्य रूप से दाएं हाथ के बल्लेबाजगांगुली के बारे में बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि वह मुख्य रूप से दाएं हाथ के बल्लेबाज थे, लेकिन वह बाएं हाथ के बल्लेबाज इसलिए बने ताकि अपने भाई का क्रिकेट किट इस्तेमाल कर सकें। उनके बड़े भाई स्नेहाशीष भी क्रिकेटर रहे और वह बाएं हाथ के बल्लेबाज थे। सौरभ तो बैटिंग में लेफ्टहैंडर थे, लेकिन बोलिंग वह दाएं हाथ से ही करते थे।

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सैकड़े से शुरुआतगांगुली ने 1996 में लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर शानदार सेंचुरी से अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की। जून, 1996 में लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर गांगुली ने 301 गेंदों का सामना करते हुए 20 चौके जड़े और 131 रन की पारी खेली। इसके अगले ही मैच, जो नॉटिंगम में खेला गया था, में गांगुली ने 136 रन बनाते हुए एक और शानदार शतक ठोक दिया था।

वर्ल्ड कप में सबसे बड़ा स्कोरभारत की ओर से वर्ल्ड कप में सबसे बड़ा स्कोर 183 रन गांगुली के नाम है। यह स्कोर उन्होंने 26 मई, 1999 को श्रीलंका के खिलाफ बनाया था।

चैंपियंस ट्रोफी खिताब2000 में केन्या में खेला गया आईसीसी नॉकआउट कप गांगुली की कप्तानी में पहला बड़ा टूर्नमेंट था। इसके फाइनल में क्रिस क्रेन्स की शानदार पारी के दम पर भारत को हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद 2002 में भारत ने श्रीलंका में आयोजित आईसीसी चैंपियंस ट्रोफी का संयुक्त खिताब जीतकर गांगुली की कप्तानी में पहला आईसीसी खिताब जीता।

वो शर्ट लहराना…2002 का नेटवेस्ट फाइनल भला कौन भूल सकता है। भारतीय टीम ने 146 रनों पर 5 विकेट गंवाने के बाद इंग्लैंड के स्कोर 325 को पार किया था। भारत की इस जीत में युवा चेहरे मोहम्मद कैफ और युवराज सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके बाद गांगुली का लॉर्ड्स की बालकनी में शर्ट उतारकर लहराना तो क्रिकेटप्रेमी शायद ही कभी भूल पाएंगे।

वर्ल्ड कप की वह हार2003 में गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची थी। 1983 के बाद पहली बार भारतीय टीम वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची थी। फाइनल में उसके सामने अजेय समझे जाने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम थी। फाइनल में भारत को 125 रनों से हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन भारतीय खेल प्रेमियों के मन में सौरभ गांगुली और उनकी टीम के प्रति सम्मान और बढ़ गया।

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गांगुली की कप्तानी में कामयाबीसाल 2000 में मैच फिक्सिंग प्रकरण के बाद जब भारतीय क्रिकेट संकट में था तब गांगुली ने टीम की कमान संभाली और टीम को संभाला। जब वह कप्तान बने भारत की टेस्ट रैंकिंग 8 थी। जब वह कप्तानी से रिटायर हुए तो भारत दूसरे पायदान पर था।

पाकिस्तान के खिलाफ लगाया दोहरा शतकगांगुली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी के बाद 2007 में पाकिस्तान के खिलाफ 239 रन बनाए। बेंगलुरु में खेली गई यह पारी उनके अंतरराष्ट्रीय करियर का एकमात्र दोहरा शतक है।

2008 में खेला अपना आखिरी टेस्ट मैच2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नागपुर में उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला। फिलहाल गांगुली क्रिकेट असोसिएशन ऑफ बंगाल (सीएबी) के अध्यक्ष हैं और 23 अक्टूबर से बीसीसीआई अध्यक्ष की कमान संभालेंगे।

फिल्मी कहानी जैसी लव स्टोरीगांगुली की पत्नी डोना मशहूर ओडिशी नृत्यांगना हैं। गांगुली और डोना पड़ोसी थे और दोनों ने घरवालों की मर्जी को बिना बताए शादी की थी। बाद में परिवार ने इस रिश्ते को मंजूर कर लिया। इस कपल की एक बेटी सना हैं, जिनका जन्म 3 नवंबर, 2001 को हुआ।

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रेकॉर्ड हैं लाजवाब113 टेस्ट मैचों में गांगुली ने 7212 और 311 वनडे खेलने के बाद उन्होंने 11363 रन रन बनाए। गांगुली ने वनडे में कुल 22 शतक लगाए, जिसमें से 18 शतक उन्होंने भारत के बाहर लगाए।

ऐसी रही कप्तानीगांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम ने कुल 49 टेस्ट खेले, जबकि 21 में जीत दर्ज की। 13 टेस्ट ड्रॉ रहे, जबकि 15 में टीम को हार मिली। विदेशी जमीन पर उनकी कप्तानी में भारत ने 28 टेस्ट मैच खेले, जिसमें से 11 में जीत हासिल की। वनडे की बात करें तो गांगुली ने 146 मैचों में भारत की कप्तानी की, जिसमें से 76 में टीम को जीत मिली, जबकि 65 में हार। 5 मैच बेनतीजा रहे।

Source: Sports

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