अमेरिका के सरकारी रक्षा संस्थान नेशनल एयरोनॉटिकल एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने भारत के (ए-सैट) मिशन शक्ति को बेहद भयानक बताया है। उसका कहना है कि इसके कारण अतंरिक्ष में मलबे के 400 टुकड़े फैल गए हैं। जिसके कारण आनेवाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों के लिए नया खतरा पैदा हो गया है।
यह बातें नासा के मुखिया जिम ब्रिडेनस्टाइन ने सोमवार को कहीं। उनका यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत ने पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थित एक लो ऑरबिट सैटेलाइट को मार गिराया था। इस मिसाइल टेस्ट के जरिए भारत ने खुद को एक एडवांस अंतरिक्ष शक्ति के तौर पर स्थापित किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इसकी जानकारी देशवासियों को दी थी। उन्होंने बताया था कि भारत का यह एंटी-सैटेलाइट मिशन पूरी तरह से स्वदेशी है।
ब्रिडेनस्टाइन ने कहा कि सभी टुकड़े ट्रैक कर पाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा, ‘सभी टुकड़े इतने बड़े नहीं हैं जिन्हें कि ट्रैक किया जा सके। हमारी उनपर नजर है। बड़े टुकड़ों को ट्रैक किया जा रहा है। हम लोग 10 सेंटीमीटर (6 इंच) या उससे बड़े टुकड़ों की बात कर रहे हैं। अभी तक 60 टुकड़ों को ट्रैक किया जा चुका है। 24 टुकड़े अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के बिंदु से ऊपर पहुंच चुके हैं।’
नासा प्रमुख ने कहा, ‘यह एक भयानक और बेहद भयानक चीज है। इससे मलबा अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से भी ऊपर जा रहा है। इस तरह की गतिविधि से आने वाले दिनों में मानव को अतंरिक्ष में भेजना बहुत मुश्किल हो जाएगा। यह अस्वीकार्य है और नासा को इसे लेकर स्पष्ट होने की जरूरत है कि इससे हमारे ऊपर क्या प्रभाव पड़ेगा।’
अमेरिकी सेना अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन और उपग्रहों के संभावित टकराव के जोखिम की भविष्यवाणी करने के लिए अंतरिक्ष में वस्तुओं को ट्रैक करती रहती है। वर्तमान में वह 10 सेंटीमीटर से ज्यादा बड़ी 23,000 चीजों को ट्रैक कर रही है। जिसमें 10,000 अतंरिक्ष में मौजूद मलबा है। ब्रिडेनस्टाइन का कहना है कि भारतीय टेस्ट के कारण अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के बीच टकराव का खतरा 44 प्रतिशत तक बढ़ गया है।
ब्रिडेनस्टाइन ट्रंप प्रशासन के पहले बड़े अधिकारी हैं जो भारत के ए-सैट परीक्षण के खिलाफ सार्वजनिक रूप से सामने आए हैं। उन्हें डर है कि भारत के ए-सैट परीक्षण से दूसरे देशों द्वारा ऐसी ही गतिविधियों के प्रसार का खतरा पैदा हो सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब एक देश ऐसा करता है तो दूसरे देशों को भी लगता है कि उन्हें भी ऐसा करना चाहिए। यह अस्वीकार्य है। नासा को इस बारे में स्पष्ट रुख रखने की जरुरत है कि इसका हम पर क्या असर पड़ता है।’’
नासा प्रशासक ने कहा कि ए-सैट परीक्षण से पिछले दस दिनों में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र को छोटे कण वाले मलबे से खतरा 44 प्रतिशत तक बढ़ गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यात्री अब भी सुरक्षित हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि अच्छी बात यह है कि यह पृथ्वी की कक्षा से काफी नीचे था जिससे वक्त के साथ ये सभी टुकड़ें नष्ट हो जाएंगे।’’ उन्होंने कहा कि चीन द्वारा 2007 में किए उपग्रह रोधी परीक्षण का काफी मलबा अब भी अंतरिक्ष में मौजूद है और हम अब भी इससे जूझ रहे हैं।