6 साल के मोहम्मद हस्सान ने रखा पहला रोज़ा, नन्हे रोज़ेदार की इबादत से परिवार हुआ गर्वित
रायपुर। रमजान के मुबारक महीने की शुरुआत के साथ ही रोज़ेदारों ने इबादत और संयम के साथ अल्लाह की राह पर चलना शुरू कर दिया है। इस पवित्र अवसर पर रोटरी नगर निवासी मोहम्मद हस्सान (शिफान) ने महज 6 साल की उम्र में अपना पहला रोज़ा रखकर सभी को प्रेरित किया। तेज धूप और गर्मी के बावजूद हस्सान ने पूरे जोश और श्रद्धा के साथ दिनभर रोज़े की पाबंदियों का पालन किया, नमाज अदा की और दुआएं मांगी।
परिवार के लिए यह एक बेहद खास और गर्व का पल था। मोहम्मद हस्सान, मोहम्मद इरशाद और शाहिना अंजुम के साहबज़ादे हैं, साथ ही वे युथ कांग्रेस के जिला सचिव एवं पश्चिम विधानसभा सोशल मीडिया संयोजक असलम खान के भांजे भी हैं। उनके पहले रोज़े पर घर के सभी सदस्यों ने उन्हें दुआएं दीं और उनकी हिम्मत की सराहना की।
रोज़े का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्वरमजान सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आत्मसंयम, धैर्य और शुद्धिकरण का महीना भी है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी रोज़ा शरीर के लिए फायदेमंद माना जाता है। उपवास करने से शरीर में जमा विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं, कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित होता है और कई बीमारियों से बचाव होता है।
नन्हे रोज़ेदार मोहम्मद हस्सान की इस पाक और अनुशासित पहल ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे समुदाय में खुशी और प्रेरणा का माहौल बना दिया। उनके पहले रोज़े पर घर में खास तैयारी की गई और परिजनों ने उन्हें दुआओं से नवाज़ा।
मोहम्मद हस्सान की इस सच्ची आस्था और समर्पण को सलाम!
परिवार के लिए यह एक बेहद खास और गर्व का पल था। मोहम्मद हस्सान, मोहम्मद इरशाद और शाहिना अंजुम के साहबज़ादे हैं, साथ ही वे युथ कांग्रेस के जिला सचिव एवं पश्चिम विधानसभा सोशल मीडिया संयोजक असलम खान के भांजे भी हैं। उनके पहले रोज़े पर घर के सभी सदस्यों ने उन्हें दुआएं दीं और उनकी हिम्मत की सराहना की।
रोज़े का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्वरमजान सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आत्मसंयम, धैर्य और शुद्धिकरण का महीना भी है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी रोज़ा शरीर के लिए फायदेमंद माना जाता है। उपवास करने से शरीर में जमा विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं, कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित होता है और कई बीमारियों से बचाव होता है।
नन्हे रोज़ेदार मोहम्मद हस्सान की इस पाक और अनुशासित पहल ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे समुदाय में खुशी और प्रेरणा का माहौल बना दिया। उनके पहले रोज़े पर घर में खास तैयारी की गई और परिजनों ने उन्हें दुआओं से नवाज़ा।
मोहम्मद हस्सान की इस सच्ची आस्था और समर्पण को सलाम!