जटिल, असाध्य रोगों के निदान के लिए शोध की आवश्यकता : डॉ. प्रेमसाय सिंह

रायपुर स्कूल शिक्षा, अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक कल्याण एवं सहकारिता मंत्री ने गुढ़ियारी के मारूति मंगलम में छत्तीसगढ़ आयुर्वेद अधिकारी संघ के दो दिवसीय चतुर्थ प्रांतीय महाधिवेशन एवं राष्ट्रीय सेमीनार का शुभारंभ किया। डॉ. प्रेमसाय सिंह की ओर से इस अवसर पर स्मारिका ’पारिजात’ और जड़ी बूटी और आयुर्वेद की जानकारी से संबंधित डॉ. पुष्पलता मिश्रा की पुस्तक ’आयुर्वेद एवं छत्तीसगढ़’ का भी विमोचन किया। डॉ. प्रेमसाय सिंह ने आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. आर.के. द्विवेदी को शॉल एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर धनवंतरि पुरस्कार से सम्मानित किया।
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह ने कहा कि इस राष्ट्रीय सेमीनार के माध्यम से देश के प्रख्यात आयुष के विद्वानों से उपचार के संबंध में नई जानकारी प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। इसका लाभ आयुर्वेद चिकित्सा के मैदानी क्षेत्र में कार्य करने वालों को भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि जटिल और असाध्य रोगों के निदान के लिए आज शोध की आवश्यकता है। सेमीनार के माध्यम से लोगों को ऐसी चिकित्सा प्रदान हो, जिससे रोग जड़ से मिट सके। उन्होंने ’जीर्ण एवं कष्ट साध्य रोगों के उपचार में आयुर्वेद की भूमिका’ विषय पर वैज्ञानिक दृष्टि का आयोजन करने के लिए आयोजकों को बधाई दी।
संचालक आयुष डॉ. जी.एस. बदेशा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शिक्षा एवं चिकित्सा के लिए ग्रामीण क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (उत्तरप्रदेश) के प्रोफेसर डॉ. जी.एस. तोमर ने कहा कि छत्तीसगढ़ ने आयुष के माध्यम से जनता की सेवा कर सराहनीय कार्य किया है। पूरा विश्व आज स्वास्थ्य के क्षेत्र में आयुर्वेद की ओर आशा से देख रहा है। इस अवसर पर नई दिल्ली के डॉ. डी.पी. आर्या, राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय हाण्डिया इलाहाबाद (उत्तरप्रदेश) के डॉ. अजय यादव, आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं प्रांताध्यक्ष डॉ. परस शर्मा, संयोजक डॉ. सीमा शुक्ला, पूर्व प्रांताध्यक्ष मध्यप्रदेश डॉ. अनवर अली, पूर्व प्रांताध्यक्ष छत्तीसगढ़ डॉ. प्रदीप शुक्ला सहित अन्य पदाधिकारी, आयुर्वेद चिकित्सक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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